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सावन में कौन सी चीजें खरीदना शुभ माना जाता है

इस बार सावन की शुरुआत सोमवार के शुभ दिन (22 July 2024) से हो रही है। सोमवार को ही सावन का पहला सोमवार पड़ रहा है। पूरे सावन महीने में कुल 5 सोमवार आ रहे हैं। सावन के महीने में हम भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और बेलपत्र से पूजा करते हैं। शिव मंदिरों में भीड़ लगी रहती है।

सावन माह हिंदू कैलेंडर का पांचवां माह होता है जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त में आता है। यह माह भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में शिव भक्त व्रत रखते हैं । सावन के महीने में हर सोमवार को सोमवती अमावस्या का व्रत रखा जाता है।

सावन माह की शुरुआत नक्षत्र के साथ होती है। पहले सप्ताह में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। दूसरे सप्ताह में भगवान विष्णु की पूजा होती है और तीसरे सप्ताह में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। चौथे सप्ताह में गणेश जी की पूजा और विशेष व्रत किया जाता है।

सावन माह में कई त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं जैसे – हरियाली तीज, नाग पंचमी, कलकी जयंती, श्रावणी अमावस्या, रक्षा बंधन, नारियल पूर्णिमा आदि। इस महीने में व्रत, तपस्या और धार्मिक कर्मकांडों का बहुत महत्व है। सावन का माह पवित्र और शुभ माना जाता है। लोग इस माह में व्रत रखकर, दान-पुण्य करके और भगवान की आराधना करके अपने जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करते हैं। यह माह हमें सदाचार और भक्ति का महत्व सिखाता है।

सावन में कौन सी चीजें खरीदना शुभ माना जाता है
सावन का महीना आ गया है और शिव भक्तों के लिए यह बेहद खास है।
चलिए जानते हैं कि सावन में कौन सी चीजें खरीदना शुभ माना जाता है:
रुद्राक्ष – शिव जी के आंसुओं से बना रुद्राक्ष इस महीने में खरीदने से सौभाग्य बढ़ता है। यह हृदय रोग से भी बचाता है।
डमरू – भगवान शिव को डमरू की आवाज बहुत प्यारी लगती है। डमरू बजाकर उनकी आराधना करें। शिवलिंग – घर पर छोटा सा शिवलिंग रखकर भगवान की नियमित पूजा करें।
चांदी का कड़ा – चांदी के कड़े से धन-दौलत बढ़ेगी और शिव जी की कृपा मिलेगी।
चांदी की डिब्बी – शिव जी की भस्म रखने के लिए चांदी की डिब्बी लें। यह दरिद्रता दूर करती है।
इन पवित्र वस्तुओं को खरीदकर अपने घर में शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करें और सावन का महीना धार्मिक रूप से मनाएं।

श्रावण में क्या होता है?
श्रावण माह हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना होता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। श्रावण में श्रद्धालु भगवान शिव-पार्वती की पूजा करते हैं। सोमवार के व्रत और मंगलवार के मंगला गौरी व्रत का विशेष महत्व होता है। कांवड़ यात्रा भी इस महीने में होती है। श्रावण का महत्व – समुद्र मंथन की कहानी मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था। इससे वे नीलकंठ हुए। इसलिए श्रावण में शिव भक्त गंगाजल और दूध चढ़ाते हैं ताकि विष का प्रभाव कम हो। श्रावण पूजा विधि श्रावण में भगवान शिव-पार्वती की पूजा, शिव चालीसा और कथा पाठ, शिवलिंग पर पंचामृत, फूलों व बेलपत्र से पूजा, मिठाई का भोग लगाना तथा चंदन-इत्र से आराधना विधिवत् की जाती है।

श्रावण माह – भक्ति और त्योहारों का महीना
श्रावण माह हिंदू कैलेंडर का पाँचवाँ महीना है। यह भगवान शिव को समर्पित माह है। इस माह में शिव भक्त विभिन्न व्रत रखते हैं। सोमवार को सोमवार व्रत और मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है।
श्रावण का महत्व – समुद्र मंथन की कथा के कारण भी है। शिवजी ने हलाहल का विष पीकर सृष्टि की रक्षा की थी।
श्रावण में शिव-पार्वती की पूजा, शिव पुराण पाठ, बेलपत्र आदि से पूजा की जाती है। श्रावणी अमावस्या इस माह का प्रमुख त्योहार है।

 

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